दीपावली हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है जो कि पंच दिवसीय पर्व होता होता है और हर वर्ष कार्तिक महीने की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। हालांकि दीपावली का पर्व धनतेरस के दिन से शुरू हो जाता है इसे प्रकाश का पर्व भी कहा जाता है क्योंकि इस दिन घरों, मंदिरों और सार्वजनिक स्थलों पर दीप जलाए जाते हैं। यह त्योहार अंधकार पर प्रकाश की, अज्ञान पर ज्ञान की और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।
दीपावली पूजा — दीपावली पूजा मुख्यत: लक्ष्मी पूजन के लिए प्रसिद्ध है। इस दिन भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा आराधना की जाती है । लक्ष्मी सूक्तों से कमल के फूलों से लक्ष्मी जी की पूजा होती है ताकि घर मे हमेशा वरकत रहे समृद्धि रहे, बिजनेस में सफलता मिलती रहे ।
यह पूजा धनतेरस से शुरू हो जाती है धनतेरस (धन त्रयोदशी) दिवाली उत्सव का पहला दिन है, जो कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को आता है। यह दिन धन, समृद्धि और स्वास्थ्य के लिए भगवान धन्वंतरि और माता लक्ष्मी की पूजा के लिए समर्पित है। आर्युवेद में इस दिन को धन्वंतरि जन्मदिवस के रूप में मनाते है क्योंकि यह आयुर्वेद के जनक है
यह धन और समृद्धि का प्रतीक है इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा कर सुख-समृद्धि की कामना की जाती है। इस दिन सोना चांदी या बर्तन खरीदना अच्छा माना जाता है और संध्या काल मे सोना चांदी या धन की पूजा की जाती है । Online Pooja Booking and Puja Services
नरक चतुर्दशी या छोटी दीपावली – choti deepawali –जिसे छोटी दिवाली या रूप चौदस भी कहा जाता है, दिवाली से एक दिन पहले मनाई जाती है। यह कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य आत्मा की शुद्धि, बुराई का नाश, और सुंदरता व स्वास्थ्य का महत्व प्रकट करना है।
नरक चतुर्दशी का महत्व — पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन भगवान कृष्ण ने दुष्ट असुर नरकासुर का वध किया था।
नरकासुर ने 16,000 स्त्रियों को बंधक बना रखा था। उनके वध के बाद भगवान कृष्ण ने इन स्त्रियों को मुक्त कराया।
इस घटना के प्रतीक रूप में नरक चतुर्दशी मनाई जाती है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देती है।
माता लक्ष्मी धन, समृद्धि और सुख-शांति की देवी मानी जाती हैं। पूजा के समय घर को साफ-सुथरा और सुसज्जित किया जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि लक्ष्मी माता स्वच्छ और प्रकाशमय स्थानों पर निवास करती हैं। Online Pooja Booking and Puja Services
पूजा विधि — घर मे साफ
सफाई और सजावट कर व्यापारिक स्थानों की भी साफ सफाई की जाती है और दीपक, रंगोली, फूलों और लाइट्स से सजाया जाता है।
गणेश-लक्ष्मी स्थापना —
पूजा स्थान पर भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की मूर्तियां स्थापित की जाती हैं।
पूजन सामग्री:
पूजा में फल, मिठाई, फूल, कुमकुम, हल्दी, चावल, दीपक और अगरबत्ती का उपयोग किया जाता है।
लक्ष्मी जी और गणेश जी पूजन किया जाता है। इसके बाद आरती कर दीपक जलाए जाते हैं।
दिवाली के दीप जलाना:
घर के हर कोने में दीपक जलाए जाते हैं, जिससे वातावरण प्रकाशमय हो जाता है।
आध्यात्मिक महत्व —
यह त्योहार आत्मा के भीतर के अज्ञान को दूर करने और ज्ञान का प्रकाश फैलाने का प्रतीक है।
सांस्कृतिक महत्व —
दीपावली पर रिश्तेदारों और दोस्तों के साथ मिलकर खुशियां मनाई जाती हैं। यह लोगों को एकजुट करता है।
ऐतिहासिक महत्व:
ऐसा माना जाता है कि इसी दिन भगवान श्रीराम 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे। अयोध्यावासियों ने उनका स्वागत दीप जलाकर किया था।
आर्थिक महत्व –
दीपावली के समय व्यापारी वर्ग के लिए नया वित्तीय वर्ष शुरू होता है। यह त्योहार व्यापार में समृद्धि लाने का प्रतीक भी है।
दीपावली का संदेश
दीपावली का त्योहार हमें सिखाता है कि अंधकार चाहे जितना भी घना हो, एक छोटा सा दीपक भी उसे मिटा सकता है। यह जीवन में सकारात्मकता, समृद्धि और शांति का संदेश देता है। Online Pooja Booking and Puja Services
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