Durga Saptashati Pooja

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Durga Saptashati Pooja

Pooja Path Service in Noida

दुर्गा सप्तशती पूजा – दुर्गा सप्तशती पाठ माँ दुर्गा की कृपा पाने के लिए एक अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली साधना है। यह मार्कण्डेय पुराण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें देवी महात्म्य के 700 श्लोक (सप्तशती) हैं। इसे चंडी पाठ भी कहा जाता है।
दुर्गा सप्तशती में देवी दुर्गा के तीन मुख्य रूपों – महाकाली, महालक्ष्मी, और महासरस्वती की उपासना की जाती है। यह पूजा विशेष रूप से नवरात्रि में की जाती है या अन्य भी किसी शुभ अवसर पर कर सकते है ।

दुर्गा सप्तशती पूजा का महत्व
माँ देवी की कृपा प्राप्ति के लिए यह पूजा जीवन में सुख, समृद्धि और शांति लाने के लिए की जाती है।

विघ्नों का नाश – देवी दुर्गा सभी प्रकार की बाधाओं और संकटों को दूर करती हैं।

नकारात्मक ऊर्जा का नाश करती है । Pooja Path Service in Noida
दुर्गा सप्तशती के पाठ से वातावरण शुद्ध होता है और नकारात्मक शक्तियां समाप्त हो जाती हैं।
मनोकामना पूर्ति — यह पूजा विशेष इच्छाओं की पूर्ति और आत्मिक बल प्राप्ति के लिए की जाती है।
आध्यात्मिक उन्नति — देवी के गुणों का स्मरण व्यक्ति को आत्मिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है

दुर्गा सप्तशती पूजा की विधि
देवी की मूर्ति या तस्वीर चौकी , नारियल, जौ ,चंदन धूप, दीप,
लाल अक्षत (चावल) कुमकुम और हल्दी
फूल (विशेषकर लाल फूल)
धूप और दीपक
नैवेद्य (मिठाई, फल आदि)
कलश, पवित्र गंगाजल
पूजा की तैयारी के लिए प्रातः स्नान करके शुद्ध वस्त्र पहनें। पूजा स्थल को साफ करें Pooja Path Service in Noida

कलश स्थापना –पूजा स्थान पर कलश स्थापित करें।
देवी का आह्वान देवी दुर्गा का ध्यान करें और उनकी मूर्ति या चित्र को वस्त्र, फूल, और कुमकुम से सजाएं।
दीप प्रज्वलन – दीपक जलाएं और धूप अर्पित करें।
देवी का ध्यान: “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे” मंत्र से देवी का ध्यान करें।
अर्गला स्तोत्र: पाठ से पहले अर्गला स्तोत्र, कीलक और कवच का पाठ करें।
दुर्गा सप्तशती के 13 अध्यायों का पाठ करना है
प्रथम चरित्र (मधु-कैटभ वध)
महालक्ष्मी चरित्र (महिषासुर मर्दिनी)
महासरस्वती चरित्र (शुम्भ-निशुम्भ वध)
देवी स्तुति और प्रार्थना: पाठ के बाद देवी की स्तुति करें
हवन (यदि संभव हो)

पाठ के बाद हवन किया जा सकता है। हवन में “स्वाहा” के साथ दुर्गा मंत्र का जप करें
पाठ और हवन के बाद देवी की आरती करें।
और फिर प्रसाद को सभी भक्तों में वितरित करें।
विशेष सावधानियां
पाठ को पूरी श्रद्धा और भक्ति से करें।
सप्तशती के पाठ में गलतियों से बचें। यदि आप संस्कृत में सहज नहीं हैं, तो इसे किसी विद्वान ब्राह्मण से करवाएं।
पाठ के दौरान पवित्रता और एकाग्रता बनाए रखें।
दुर्गा सप्तशती की पूजा व्यक्ति को अद्भुत शक्ति, समृद्धि और देवी की कृपा प्रदान करती है। यह जीवन की कठिनाइयों को दूर कर सकारात्मकता लाती है। नवरात्रि में या किसी शुभ दिन इसे करना विशेष रूप से फलदायी होता है

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