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Best Astrologer in Delhi

Best Astrologer in Delhi property and real estate भू सम्पत्ति, अचल संपत्ति या पैतृक संपत्ति या संपत्ति के संबंध में ज्योतिषीय विश्लेषण — जन्म कुंडली के अनुसार और हमारे प्रारब्ध के कर्मानुसार हमारी कुंडली निर्मित होती है उसी प्रतिफल से वर्तमान जीवन मे हमे सारे सुख प्राप्त होते है । लेकिन अपने कर्मानुसार काफी हद तक तक हम प्रतिफल को बदल सकते है और यह ज्योतिष और ज्योतिषीय उपाय से ही सम्भव है

  1. जजन्म कुंडली मे मुख्यतः जमीन-जायदाद ,भूमि, भवन , संपत्ति का अध्ययन चौथे भाव, द्वितीय भाव, और लग्न के माध्यम से किया जाता है। इसके अलावा चंद्रमा, शुक्र, मंगल , शनि और संबंधित ग्रहों की स्थिति भी भूमि-संपत्ति के योग और संबंधित घटनाओं को जानने में सहायक होती है। नीचे मुख्य बिंदुओं का विवरण दिया गया है:ों का खेल है ।
  2. चौथा भाव– चौथा भाव जमीन, मकान, वाहन, और स्थिर संपत्ति का कारक है। चौथे भाव का स्वामी और उसमें स्थित ग्रह इस बात का संकेत देते हैं कि व्यक्ति को संपत्ति का सुख कैसे और कब मिलेगा। यदि चौथे भाव का स्वामी मजबूत है और शुभ ग्रहों के साथ है, तो व्यक्ति को जमीन-जायदाद का लाभ मिलता है।
  3. मंगल ग्रह- यह भूमि का कारक ग्रह है। यदि मंगल कुंडली में शुभ स्थिति में है (योगकारक या उच्च राशि में), तो यह जमीन-जायदाद से संबंधित लाभ देता है। लेकिन यदि मंगल अशुभ स्थिति में है (नीच राशि में या पाप ग्रहों से दृष्ट), तो जमीन से संबंधित विवाद भी हो सकते हैं।लाभ मिलते हैं Best Astrologer in Delhi
  4. द्वितीय भाव– द्वितीय भाव धन और संपत्ति का भाव है। यह बताता है कि जमीन खरीदने का कब योग बन रहा है या आर्थिक स्थिति कैसी होगी। द्वितीय भाव का स्वामी और उसमें स्थित ग्रह महत्वपूर्ण होते हैं।
  5. चंद्रमा और शुक ्र चंद्रमा मानसिक संतोष और भावनात्मक जुड़ाव को दर्शाता है। कई बार भाग्य स्थान धर्म स्थान का स्वामी भी भूमि भवन, का सुख देता है, पंच महापुरुष योग होने से भी भूमि भवन का लाभ मिलता है । मिलती है   Best Astrologer in Delhi 
  6. दशा और गोचर मंगल, चौथे भाव का स्वामी, लग्नेश की दशा और अंतर्दशा में जमीन-जायदाद संबंधी कार्य पूर्ण होते हैं।िलता है ।ं मदद मगोचर में जब शुभ ग्रह चौथे भाव, उसके स्वामी या लग्नेश पर दृष्टि डालते हैं, तब जमीन खरीदने या बेचने के योग बनते हैं। धन योग: जब चौथे भाव का स्वामी, लग्नेश, और दूसरे भाव का स्वामी परस्पर शुभ संबंध में हों।िलती है। या मजबूत राजयोग बनाये , चौथा भाव व्यक्ति को बड़ी संपत्तियों का मालिक बनाता है। दुर्भाग्य योग: अशुभ ग्रहों का प्रभाव राहु, केतु से चौथे भाव या भावेश की युति या संबंध विवाद या हानि का कारण बन सकता है। कुंडली का समग्र अध्ययन करके ही जमीन-जायदाद से जुड़े निर्णय लेने चाहिए अधिक जानकारी के लिए कृपया संपर्क करे 

                                                                                                           Best Astrologer in Delhi

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